इंदौर को मध्यप्रदेश की औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता है। यह दर्जा हासिल करने के पीछे इंदौर के उद्योगपतियों से लेकर जनप्रतिनिधियों की एकजुटता रही है। अब जबलपुर को उद्योगों को विकसित करने के लिए यहां के उद्योगपतियों से लेकर प्रशासन, व्यापारिक संघ और जनप्रतिनिधियों को एकजुटता दिखानी होगी। जबलपुर में उद्योगों को बढ़ावा देने की हर संभावनाएं हैं, लेकिन इन संभावनाओं को उद्योगों से जोड़ने के लिए कई बड़े कदम उठाने होंगे। कोरोना काल के बाद उद्योग जगत में हुए बड़े बदलाव का असर दिखने लगा है। अब उद्योग, क्लस्टर और स्टार्टअप के तौर पर विकसित हो रहे हैं। जबलपुर में उद्योग जगत से जुड़े लोगों के साथ अब नई युवा पीढ़ी भी उद्योग के क्षेत्र में उतर रहे हैं।
यह कदम उठाने होंगे-
क्लस्टर पर जोर-
जबलपुर में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर बनाकर काम करना होगा। इस पर एमएसएमई, उद्योग विभाग ने काम भी शुरू कर दिया है। जबलपुर में वर्तमान में दो क्लस्टर आइटी पार्क और रेडिमेट गारमेंट आकार ले चुके हैं। दो क्लस्ट फर्नीचर और मिष्ठान आकार ले रहे हैं। इनके लिए प्रशासन ने जमीन का आवंटन कर दिया है। इसके साथ ही सराफा क्लस्टर, हर्बल क्लस्टर और इंजीनियरिंग क्लटर की योजना तैयार की जा रही है।
बिजली दर सस्ती-
जबलपुर में रिछाई, अधारताल के अलावा उमरिया-डुंगरी में औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहां पर उद्योगों को मिलने वाली बिजली की दर महंगी है, जिसे कम करने पर जोर देना होगा। उद्योगपतियों का कहना है कि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़, जबलपुर से नजदीक हैं, बावजूद इसके यहां की तुलना में इन राज्यों के उद्योगों को मिलने वाली बिजली सस्ती है। वहां 5 से 6 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि यहां पर 8 से 10 रुपये प्रति यूनिट मिल रही है।
कर में एकरूपता-
यहां पर औद्योगिक केंद्रों में लगाए गए उद्योगों से संपत्ति कर को लेकर अक्सर विवाद चलता है। कई बार व्यापारी और उद्योगपति इसको लेकर अपत्ति भी दर्ज करा चुके हैं। हालांकि इस बार नगर निगम द्वारा लिया जाने वाले संपत्ति कर माफ किया गया। उद्योगपतियों का कहना है कि उद्योगों से लिए जाने वाले सभी कर की एक गाइडलाइन बनें, ताकि अलग-अलग कर न देना पड़े।
पहुंच मार्ग बेहतर-
शहर और शहर के बाहर बने औद्योगिक केंद्रों तक आने-जाने वाले पहुंच मार्ग को बेहतर किया जाना चाहिए। इस पर काम हुआ है, लेकिन अभी भी कई औद्योगिक कें्रदो में भारी वाहन प्रवेश करने के दौरान परेशानी आती है। शहर में भी उद्योग की कई छोटी-छोटी ईकाईयां हैं, जहां पर वाहन प्रवेश नहीं कर पाते। इन ईकाईयों को एक जगह लाकर वहां बेहतर व्यवस्थाएं करनी होगी।
जबलपुर के उद्योगों को इसका मिलेगा फायदा
- मध्यप्रदेश पूर्व विद्युत वितरण कंपनी का मुख्यालय जबलपुर में है। बिजली से जुड़े निर्णय लेना आसान है।
- पश्चिम मध्य रेलवे जोन का मुख्यालय जबलपुर में होने का फायदा मिला है। यहां से 26 राज्यों के लिए ट्रेनें चलती हैं।
- यहां छह से ज्यादा आर्डिनेंस फैक्ट्री हैं, जो शहर की पहचान मानी जाती हैं। इसका फायदा शहर को मिला है।
- कृषि, मेडिकल, वेटरनरी, ला समेत शहर में सात विवि हैं, जो युवाओं को तकनीकी और व्यवहारिक तौर पर तैयार करते हैं।
- जबलपुर से महाराष्ट्र की सीमा 300 किमी दूर है तो वहीं छत्तीसगढ़ के सीमा भी 300 किमी ही दूर हैं।
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