हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर। माँ नर्मदा की कलचुरि कालीन विश्व की सबसे प्राचीन सुंदर एवं एकमात्र प्रतिमा माँ मक्रवाहिनी इसलिए सबसे अनूठी और एकमात्र है क्योंकि माँ नर्मदा के अवतरण विषय पर केन्द्रित है, इतिहासकार डॉ आनंद सिंह राणा ने बताया कि उत्तर और दक्षिण के मूर्तिशिल्प के मिलन का यह सर्वोत्तम नमूना है, इसलिए एक नये शिल्प ने जन्म लिया, इसे कलचुरि शिल्प के नाम से जाना जाता है, चूँकि मां नर्मदा के प्राकट्य ही इस मूर्ति का मूल विषय है, इसलिए, मूर्ति में अफित विभिन्न देवी देवता वहीं चित्रित किये गये जो अवतरण के समय साक्षी थे, उन्होंने बताया कि इस शोध के दौरान प्रोफेसर कपिल देव मिश्र कुलपति रादुविवि, प्रोफेसर अलकेश चतुर्वेदी, डॉ अभिजात कृष्ण त्रिपाठी एवं डॉ कौशल दुबे का विशेष सहयोग मिला, डॉ राणा ने बताया कि कलचुरि शिल्प का स्वर्ण युग युवराजदेव के समय प्रारंभ हुआ, जब उनका विवाह आंध्रप्रदेश की चालुक्य राजकुमारी नोहला देवी से हुआ, नोहला देवी ने दक्षिण से शैव आचार्यों को त्रिपुरी (जबलपुर) बुलाया और प्रारंभ हुआ कलचुरि शिल्प कटनी के पास बिलहरी में नोहलेश्वर का मंदिर बनाया गया और वहीं से बलुआ पत्थर कलचुरियों की राजधानी त्रिपुरी (तेवर, जबलपुर) लाया जाने लगा और उसके उपरांत तो कलचुरि शिल्प का अद्भुत विकास हुआ, नवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी के मध्य लगभग 300 वर्षो तक त्रिपुरी (तेवर) याने जबलपुर के कलचुरियों का भारत के हृदय स्थल पर गौरवशाली शासन एवं इतिहास रहा है, राजा कर्ण कलचुरियों का सर्वप्रथम राजा हुए हैं, माँ मक्रवाहिनी और त्रिपुर सुंदरी दोनों मूर्तियों का सृजन उसी के काल में हुआ कर्ण को वाराणसी बहुत प्रिय थी और उसने मंदिर और एक बस्ती भी बनायी थी, वहीं उसे नर्मदा नदी के महात्म्य के बारे में जानकारी मिली थी कि दर्शन मात्र से पाप दूर हो जाते हैं और केवल इसी नदी की परिक्रमा होती है, इसलिए माँ मक्रवाहिनी की मूर्ति का निर्माण कराया गया, ताकि दर्शन लाभ और उनकी प्रतिमा की परिक्रमा कर नर्मदा की परिक्रमा का लाभ उठाया जा सके और ये भी तथ्य था कि नर्मदा कुंवारी है, इसलिए प्रतिमा के दर्शन करना ही उचित होगा और ये भी सत्य है कि कलचुरि राजाओं ने स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया है, इसलिए भी संभव है कि जल प्रदूषण को लेकर भी कोई विचार रहा हो. इसलिए देव उठनी ग्यारस को इनकी स्थापना की गई, आप जितने बार कुछ अंतराल में देखेंगे तो मूर्तियों में बदलाव महसूस करेंगे, उनमें आपको परिवर्तन दिखेगा, जैसे त्रिपुर सुंदरी और माँ मक्रवाहिनी कलचुरि शिल्प अपनी विशेषताओं के लिए विलक्षण हैं, कलचुरि कालीन मूर्तियों के पाश्र्व में किसी घटना की कथा अथवा ब्रहमंड से संबंधित किसी दर्शन के संकेत मिलते हैं, हर मूर्ति में शैव मत का प्रभाव स्पस्ट दिखता है, अधिकतर अंकित देवी देवता और गण शिवशक्ति से जुड़े होते हैं, प्रत्येक मूर्ति स्वयं अपनी कथा कहती है, अंग अनुपात, शरीर गठन, आसन एवं आभूषण का बाहुल्य कलचुरि कला कृतियों की विशेषता है, माँ मक्रवाहिनी का स्वरुप दिन में 3 बार आपको परिवर्तित दिखेगा, आपने देखा है हमारा इंडिया न्यूज चैनल से दिव्यांशु विश्वकर्मा की यह रिपोर्ट ।
शुक्रवार, 4 नवंबर 2022
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अदभुत,अलौकिक माँ मक्रवाहिनी जी के घर बैठे कीजिए दर्शन और जानिए मां की लीलाओं को इस खबर में
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