हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर।फॉग्सी वेस्ट ज़ोनल कॉफ्रेंस कांग्रेस विथ युवा 2022 के दूसरे दिन आज स्टेट मास्टर ट्रेनर ईट राइट इंडिया व हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर की प्रभारी डा. रचना दुबे ने पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) विषय पर आयोजित सत्र में आहार व जीवनशैली में परिवर्तन करने पर महत्वपूर्ण शोध पत्र प्रस्तुत किया। डा. दुबे ने अपने शोध पत्र में महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी से बचाव के संबंध में महिलाओं को महत्वपूर्ण सावधानी रखने की सलाह दी। डा. दुबे ने अपने उद्बोधन में महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी से बचाव के संबंध में महिलाओं को महत्वपूर्ण सावधानी रखने की सलाह दी। इस अवसर पर कॉफ्रेंस व आयोजन समिति की अध्यक्ष डा. प्रज्ञा धीरावाणी और डा. कविता सिंह उपस्थित थीं।
एक गंभीर बीमारी है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम-पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इस समय भारत सहित पूरी दुनिया में इससे पीड़ित महिलाओं की संख्या काफी तेजी से बढ़ती जा रही है। पीसीओएस की वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। इस समस्या को पॉलीसिस्टिक इसलिए कहा जाता है क्योंकि अंडाशय यानी ओवरी में खूब सारे छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं और समय रहते यदि इस बीमारी को नियंत्रित नहीं किया जाता है तो भविष्य में इससे मेटबालिक सिंड्रोम और कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
बदलती जीवनशैली और तनाव से बढ़ती है बीमारी-डा. रचना दुबे ने अपने उद्बोधन में जानकारी दी कि भारतीय महिलाओं को गर्भावस्था में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की स्थिति प्राय: देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि बदलती जीवनशैली, टीवी देखने व मोबाइल फोन में ज्यादा समय व्यतीत करने, रात में देर से सोने, तनाव जैसी अवस्थाएं गर्भवती महिलाओं में इस बीमारी को बढ़ाती हैं।
संतुलित भोजन सर्वाधिक ज़रूरी-डा. रचना दुबे ने शोध पत्र में दस महत्वपूर्ण मुद्दों को विश्लेषित करते हुए कहा कि गर्भावस्था में महिलाएं आहार व जीवनशैली में परिवर्तित कर पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से बचाव कर सकती हैं। डा. दुबे ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान महिला को भोजन में क्या लें और क्या न लें का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसी महिलाओं के लिए संतुलित आहार सर्वाधिक ज़रूरी हो जाता है। उन्हें अपने प्रत्येक खाने में प्रोटीन ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए। महिलाओं को वर्तमान में प्रचलित जंक फुड लेने से बचना चाहिए। आहार में हल्दी, विटामिन सी से भरपूर रंगीन फल और हरी सब्जियां लेना चाहिए जिनसे शरीर इनफ़्लेमेशन कम होता है।
पर्यावरण भी करता है प्रभावित-डा. रचना दुबे ने अपने शोध पत्र में कहा कि गर्भावस्था के दौरान पर्यावरण और आसपास के वातावरण भी महिलाओं को प्रभावित करता है। प्रदूषण से महिलाओं के हार्मोन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। डा. दुबे ने कहा कि गर्भावस्था में महिलाओं को प्लास्टिक, जंक फुड और माइक्रोवेव ओवन फुड से विशेष दूरी बना कर रखना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें