हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर।
भारत के मशहूर सारंगी वादक रामनारायण और सुल्तान खान जैसे लोग रहे हैं। जबलपुर में संगीत की सुदीर्घ परम्परा है लेकिन सारंगी वादन में आकाशवाणी के लियाकत अली खां साहब के अलावा कोई दूसरा नाम याद नहीं आता। आज फटियाते हुए वर्षों बाद एक सारंगी वादक टोकरी में सारंगी बेचते हुए नज़र आए। विकास की ओर बढ़ते शहर के शोर में सारंगी की आवाज़ मधुर सुरीली और सुकून दायक लगी। नए ज़माने के बच्चों के लिए इलेक्ट्रॉनिक साजों के बीच पारस्परिक सारंगी अचरज की चीज है।
मूलतः सोनीपत के लीलाराम जवानी में घूमते हुए जबलपुर पहुंचे और अब वे यहीं के हो गए। सालों से जबलपुर में अकेले रह रहे लीलाराम सारंगी वाले सड़कों पर सारंगी बजाते और सारंगी बेचते एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में घूमते रहते हैं। परिवार के लोग सोनीपत के नजदीक एक गांव में रहते हैं लेकिन लीलाराम की दुनिया तो सिर्फ जबलपुर ही है। वे कटियाघाट में रहते हैं और रोज अपने चाहने वालों की गिनती बढ़ाते रहते हैं। लीलाराम संभवतः जबलपुर में एकमात्र सारंगी बेचने वाले हैं। उनकी सबसे बड़ी खासियत है कि उन्होंने बेचने वाली सारंगी का कोई मूल्य तय नहीं किया है। डेढ़ सौ रुपए की सारंगी को वे जिसकी क्षमता में बेच देते हैं। वे धैर्यपूर्वक सारंगी खरीदने वाले को उसका बजाने का तरीका भी सिखा देते हैं। लीलाराम की सारंगी में तीन अंगुलियों का खेल या हरकत है। कुछ लोग जल्द सीख लेते हैं तो वे खुश हो जाते हैं और जो अनाड़ी साबित होते हैं उसे वे रियाज़ की नसीहत दे कर आगे बढ़ जाते हैं। वैसे लीलाराम के शहर में कुछ ठिए भी हैं जिनमें कलेक्ट्रेट, तहसीली व जिला पंचायत खास है। #फटियाते हुए *पंकज स्वामी*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें