हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर)मध्यप्रदेश/जबलपुर।मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में इन दिनों अजब और गजब हो रहा है, अभी लोग न्यू लाईफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में हुए अग्नि हादसे को भूले ही नहीं की जबलपुर में अस्पताल के संचालन में एक और फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। जिसमें पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम की रेड में यह खुलासा हुआ कि एक अस्पताल होटल में संचालित हो रहा था, जिसमें शासन की आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को यहां पर भर्ती किया गया था। अब इस तरह से अस्पताल के संचालन की जानकारी सामने आने से स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। बताया गया है कि सेन्ट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल का धंधा एक होटल में फलफूल रहा था, पुलिस ने इस मामले का भंडाफोड़ किया, जहां तीन मंजिल होटल की इमारत में करीब 6 दर्जन से अधिक कथित मरीज भर्ती मिले, अस्पताल के प्राइवेट वार्ड की तरह होटल के कमरों का इस्तेमाल किया जा रहा था। बरामदे और हॉल को जनरल वार्ड बना दिया गया, पुलिस के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की टीम, जब मौके पर पहुंची तो इस कथित अस्पताल का फर्जीवाड़ा देखकर उसकी आँखे भी फटी रह गई। हॉस्पिटल में पलंग पर एक ही मरीज भर्ती रहता है, लेकिन यहां कई पलंग पर एक साथ दो-दो मरीज आराम फरमाते मिले, वहीं रेड की जानकारी लगते ही अस्पताल संचालक डाॅक्टर अश्वनी पाठक मौके पर पहुंचे, उन्होंने सफाई देते हुए जांच टीम से कहा कि होटल 3 साल से बंद था और यहां अस्पताल ही संचालित हो रहा है। जिसकी अनुमति के उनके पास है, डाॅक्टर अश्वनी पाठक ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि 100 बिस्तर के अस्पताल की अनुमति शासन और स्वास्थ्य विभाग से ली गई है, अब इस पूरे प्रकरण में शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली घटघरे आती हुई दिख रही है, अगर अस्पताल के संचालन की अनुमति है, तो होटल में अस्पताल संचालित करने की अनुमति किसने दी और किस नियम के तहत दी, जिसको लेकर तमाम संबंधित विभाग के अधिकारियों के ऊपर भी सख्त से सख्त कार्यवाही होना चाहिए, नहीं ऐसी अनुमतियां एक बार फिर से न्यू लाईफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल की तरह की घटनाओं को अंजाम देती रहेंगी।
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